मुंबई । चर्चाओं के अनुसार सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार करने के लिए सोना गिरवी रखकर, नोट छापने की दिशा में सरकार आगे बढ़ रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने के साथ-साथ सोना गिरवी रखकर, रिजर्व बैंक से अतिरिक्त नोट छपवा कर, अर्थव्यवस्था को गतिशील करने का प्रयास करने जा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लोग सोना बेच रहे हैं। आर्थिक मंदी और सोने के भाव बाजार में काफी ज्यादा होने से सोने की बिक्री करके लोग नगदी लेने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार स्वयं सावरेन गोल्ड बॉन्ड के तहत 32 टन सोने की बिक्री करके अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का प्रयास कर रही है। वही लोगों के घरों में पड़ा हुआ सोना जो अभी अर्थव्यवस्था का भाग नहीं है। उसे अर्थव्यवस्था में लाने के लिए आकर्षक योजना बनाने जा रही है।
सरकार सोना खरीद कर अपना स्वर्ण भंडार बढ़ाएगी। इस सोने को रिजर्व बैंक में गिरवी रखकर नगदी ज्यादा छापकर अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में सरकार काम कर रही है। केंद्र सरकार का मानना है, कि नागरिकों के पास लगभग 20 से 25000 टन सोना है। यह सोना अर्थव्यवस्था का भाग नही है। सरकार आम लोगों के स्वर्ण भंडार को अर्थव्यवस्था का भाग बनाने के लिए कुछ योजनाएं सामने लेकर आ सकती है। यह सोना किस तरीके से निकलकर बाहर आएगा इसके बारे में सरकारी स्तर पर काफी सोच विचार हो रहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार सोना कब और कहां से आया है। इसका स्त्रोत सरकार नहीं पूछेगी। लेनदेन प्रक्रिया को सरल बनाने की दिशा में काम करेगी। अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए, सरकार रिजर्व बैंक में सोना गिरवी रखकर नगदी नोट प्रचलन में लाएगी। रिजर्व बैंक के पास अभी भारत सरकार का 640 टन सोना रखा हुआ है। जिसका मूल्य 32.27 अरब डालर है। सरकार ने 15 टन सोना स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के तहत रखा हुआ है। सावरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए सरकार ने अभी तक 32 टन सोने की बिक्री की है।
20 हजार टन सोना मुद्रीकरण योजना में बदलने की तैयारी